मंगलवार, 23 मई 2017

उत्तराखण्ड का इतिहास "प्रागैतिहासिक काल"


प्रागैतिहासिक काल- प्राचीन शैल चित्रों, गुफाओं, कंकालों मृदभाण्ड तथा धातु उपकरणों द्वारा इस काल की जानकारी मिलती है।

मुख्य प्रागैतिहासिक श्रोत-

1. लाखु उड्यार- प्राचीन गुफा चित्र
स्थिति- दलबैण्ड, बाड़ीछीना अल्मोड़ा में सुयाल नदी के तट पर स्थित

खोज- 1963 में यशवंत सिंह कठौच (श्री कठौच ने उत्तराखण्ड का आधुनिक इतिहास पुस्तक लिखी)

विशेषता- मानव व पशुओं की लाल रंग में नृत्य करती आकृतियां

2. ग्वारख्या उड्यार- प्राचीन गुफा चित्र डॉ. मठपाल के अनुसार इसका नामकरण गोरखों के द्वारा लूट का माल छिपाने के कारण पड़ा था। किन्तु इस चित्रित गुफा में इतना स्थान नहीं है कि यहां सामान छिपाया जाय सम्भवतः इस स्थान के निकट गोरखों ने कैंप डाला था अतः लोगों में यह विश्वास हो गया कि इसमें चित्रों को गोरखों ने चित्रित किया था परन्तु यह पाषाणकालीन आकृतियां है।

स्थिति- डुंग्री गांव, चमोली जिले में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित

खोज- राकेश भट्ट द्वारा खोजे गए इसका अध्ययन यशोधर मठपाल ने किया

विशेषता- मानव भेड़ लोमड़ी बारसिम्हा आदि पशुओं की आकृतियां बनी है। डॉ. मठपाल के अनुसार यहां 41 आकृतियां है जिसमें 30 मानव, 8 पशु, तथा 3 पुरूषों की आकृतियां है। चित्रकला की दृष्टि से उत्तराखण्ड की सबसे सुन्दर आकृतियां मानी जाती है। यहां मनुष्य को त्रिशुल रूप में दर्शाया गया है। इस गुफा में चित्र का मुख्य विषय मनुष्य द्वारा पशुओं को हांका देकर घेरते हुए दर्शाना है।

3. किमनी गांव- शैल चित्रित गुफा
स्थिति- थराली विकासखंड चमोली में
विशेषता- यहां से हथियार व पशुओं के शैल चित्र प्राप्त हुए।

4. मलारी गांव- यहां से 5.2 किलो का सोने का मुखावतरण तथा लगभग 1000 से अधिक मृदभाण्ड प्राप्त हुए है।

स्थिति- तिब्बत से सटा मलारी गांव चमोली जिले में स्थित है।

खोज- 1956 में शवाधान की खोज। 2002 में गढ़वाल विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं द्वारा

विशेषता- पाषाणकालीन शवाधान जो हडप्पाकालीन माना गया है।

5. ल्वेथाप गांव- शैलचित्र जिसमें मानव को हाथों में हाथ डालकर दिखाया गया है।

स्थिति- अल्मोड़ा जिले में

विशेषता- मानव को शिकार करते हुए दिखाया गया है।

6. फलसीमा- शैलचित्र जिनमें मानव को नृत्य करती तथा योग करती हुई आकृतियां।

स्थिति- अल्मोड़ा में

विशेषता- मानव की योगाकृति

7. बनकोट- सम्पूर्ण गांव से ताम्र आकृतियां प्राप्त हुई है।

स्थिति- पिथौरागढ़ जिले का अंतिम गांव।

विशेषता- 8 ताम्र मानवाकृतियां।

8. हुडली- शैलचित्र

स्थिति- उत्तरकाशी

विशेषता- नीले रंग का शैलचित्र

9. पेटशाल- मानवाकृतियां
स्थिति- पूनाकोट गांव अल्मोड़ा
खोज- खोज यशोधर मठपाल द्वारा
विशेषता- कत्थई रंग के शैल चित्र

10. देवीधुरा की समाधियां- प्रागैतिहासिक समाधियां
स्थिति- चम्पावत जिले में
खोज- 1856 में हेनवुड द्वारा
विशेषता- बुर्जहोम कश्मीर के समान समाधियां

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